सिपाही की मां class 12th Hindi subjective question
👉👉👉👉सारांश 👈👈👈
सिपाही की मां शीर्षक एकांकी मोहन राकेश द्वारा लिखित अंडे के छिलके तथा अन्य एकांकी से ली गई है।विट्टी का इंतजार गांव का एक साधारण घर है जिसमें विशनी जाम की महिला अपनी चौदह वर्ष की लड़की मुन्नी के साथ रहती है उनके घर का इकलौता बेटा लड़ाई के लिए वर्मा गया हुआ है और वह दिन रात उसकी चिड़ी का इंतजार करती रहती है गांव में डाक की गाड़ी आती है तो मुन्नी अपनी चिड़ी लेने जाती है पर चिड़ी नहीं आती है जिससे वह कुछ उदास हो जाती है उसकी मां भी चिट्ठी न आने से बहुत दुखी है
लेकिन वह मां को बार-बार यही समझाती है कि जल्दी ही चिड़ी आएगी फिर वह दोनों बर्मा की दूरी को लेकर बातचीत करती है। इसी चीच मुन्नी यह कह देती है कि कहीं चिड़ी लाने वाला जहाज डूब गया हो जिस कारण उसकी मां उसे डांटती है।
मुन्नी की शादी की चर्चा-तभी वहां पड़ोस में रहने वाली कुंती आ जाती है। पहले वह वर्मा की लड़ाई के विषय में बातवीत करती है और फिर मुन्नी की शादी के बारे में पूछती है साथ ही वह मुन्नी की शादी जल्द से जल्द करने को कहती हैं फिर वह कहती है कि तुम्हारा लड़का जो युद्ध में गया है वह पता नहीं कब तक आएगा क्योंकि लड़ाई का कोई पता नहीं है कि वह कब तक चलती रहे।
बर्मा से दो लड़कियों का आगमन- उसी समय वहां दीनू कुम्हार आता है और बताता है कि दो जवान लड़कियां अजीव से कपड़े पहने घर-घर जाकर आटा दाल मांग रही है। यह बताकर टीनू वहां से चला जाता है इतने में वह लड़कियां वहां आ जाती है और दाल चावल मांगती है जब विशनी और कुंती उनके बारे में पूछती है तो वह बताती है कि में वर्मा से आई हूं वहां भीषण लड़ाई चल रही है
जिस कारण हमारा घर बार छिन गया है। मैं बड़ी मुश्किल से जंगल के सस्ते अपनी जान बचाकर आई हूं जब मुज्जी उनसे फौजियों के बारे में पूछती है तो वे बताती है कि जो फौज छोड़कर भागता है उसे गोली मार दी जाती है। फिर वह वर्मा की नाटकीय स्थिति का वर्णन करती है जिसे सुनकर बिशनी कांप उठती है उसे अपने बेटे की चिंता सताने लगती है तथा कुंती और मुन्नी उसे ढांढ़स बंधाती है।
- गुज्जी कहती है कि मेरा दिल कहता है कि भैया आप ही आएंगे। जिसे सुनकर विशनी कुछ हिम्मत जुटाकर बोलती है तेरा दिल ठीक कहता है बेटी चिट्ठी व आई तो वह आप ही आएगा। मां बेटी की बातचीत- रात के समय मां बेटी आपस में बातचीत करती है मुन्नी अपनी मां से कहती है कि मेरी कुछ सहेलियों के कड़े बहुत ही सुंदर है जिन्हें वह सारे गांव में दिखाती है। तब विशनी उसे प्यार भरे स्वर में कहती है कि तेरा भाई तेरे लिए उसे भी अच्छे कडे लाएगा।स्वप्न की स्थिति- इसके बाद दोलों सो जाती है
- स्वप्न में विशली को मानक (उसका बेटा) दिखाई देता है। वह उससे बातचीत करती है वह बुरी तरह घायल है और बताता है कि दुश्मन उसके पीछे लगा है बिशनी उसे लेटने को कहती है पर वह पाली मांगता है तभी वहां एक सिपाही आता है और वह उसे मरा हुआ बताता है यह सुनकर विशनी सहम जाती है लेकिन तभी मानक कहता है कि मैं मरा नहीं हूं व सिपाही मानक को मारने की बात कहता है लेकिन विशनी कहती है कि मैं इसकी मां हूं और इसे मारने नहीं दूंगी सिपाही मानक को वहशी तथा खूनी बताता है।
- लेकिन विशनी उसकी बात को नकार देती है। वह कहती है कि यह बुरी तरह घायल है और इसकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है इसलिए तू इसे मारने का विचार त्याग दें। जवाब में सिपाही कहता है कि अगर में इसे नहीं मारूंगा तो यह मुझे मार देगा विशनी उसे विश्वास दिलाती है कि यह तुझे नहीं मारेमा तभी मानक उठ खड़ा होता है और सिपाही को मारने की बात कहता है विशनी उसे समझाती है लेकिन यह नहीं मानता है और उसकी बोटी-बोटी करने की बात कहता है।स्वप्न भंग- यह सुनकर बिशनी चिल्लाकर उठ बैठती है वह जोर-जोर से मानक मानक कहती है उसकी आवाज सुनकर मुज्जी वहां आती है मां की स्थिति देखकर वह कहती है कि तुम रोज भैया के सपने देखती हो जब कि मैंने तुमसे कहा था कि भैया जल्दी आ जाएंगे।
सब्जेक्टिव –
1. विशनी और मुन्नी को किसकी प्रतीक्षा है वह डाकिए की राह क्यों देखती है?
उत्तर- बिशनी और मुन्नी को अपने घर के इकलौते बेटे मानक की प्रतीक्षा है वे उसकी चिट्ठी आने के इंतजार में डाकिए की राह देखती है।
2. विशनी मानक को लड़ाई में क्यों भेजती है?
उत्तर- बिशनी के घर की हालत बहुत खराब है उसे अपनी बेटी का ब्याह करना है इसलिए वह मानक को लड़ाई में भेजती है।
3. सप्रसंग व्याख्या करें
1. नहीं फौजी वहां लड़ने के लिए है वे नहीं भाग सकते जो फौज छोड़कर भागता है उसे गोली मार दी जाती है?
उत्तर- प्रस्तुत पथांश हिंदी साहित्य के प्रमुख कथाकार एवं नाटककार मोहन राकेश द्वारा रचित उनके एकांकी सिपाही की मां से संकलित है यहां एक मां अपने बेटे को गलत कार्य करने से रोक रही है। जब मुन्नी वर्मा से आई लड़कियों से पूछती है कि फौंजी युद्ध से भागकर नहीं आ सकते तब उनमें से एक लड़की कहती है कि फौजी वहां लड़ने के लिए गए। वे वहां से भाग नहीं सकते हैं। अगर कोई भागने की कोशिश भी करता है तो उसे गोली मार दी जाती है।
2. वह-घर देखकर ही क्या करना है कुंती? मानक आए तो कुछ हो भी। तुझे पता ही है आजकल लोगों के हाथ कितने बढ़े हुए हैं।
उत्तर- बिशनी से मिलने उसकी पड़ोसन कुन्ती आती है और वह मुन्नी के लिए रिश्ता ढूंढने की बात करती है। तब विशनी उसे अपनी मजबूरी बताती है। विशनी कुंती से कहती है कि वर देखकर कोई लाभ नहीं है क्योंकि हमारे पास रुपए तो है नहीं जो विवाह किया जा सकेा इसलिए जब मानक आएगा तभी कुछ हो सकता है वैसे भी आजकल शादी विवाह में बहुत अधिक खर्च होते हैं। अर्थात विशनी स्पष्ट कहती है कि उसके पास रुपए पैसे बिल्कुल भी नहीं है इसलिए जब उसका बेटा आएगा तभी शादी के बारे में कुछ सोचा जा सकता है।
4. एकांकी और नाटक में क्या अंतर है संक्षेप में बताएं?
उत्तर- एकांकी और नाटक में निम्नलिखित अंतर है?
1. एकांकी में एक ही अंक होते हैं और उस एक अंक में एक से अधिक दृश्य होते हैं जबकि नाटक में एक से अधिक अंक या एक्ट होते हैं और प्रत्येक अंक कई दृश्यों में विभाजित होकर प्रस्तुत होता है।
2. एकांकी नाटक में एकल कथा होती है अर्थात वहां केवल अधिकारिक कथा प्रासंगिक नहीं। साथ ही नाटक में अधिकारिक कथा आकार की दृष्टि से छोटी होती है तथा कोई एक लक्ष्य लेकर चलती है।
3. एकांकी और नाटक में क्रिया व्यापार की सत्ता प्रधान होती है इसे संघर्ष या द्वंद कहा जाता है यही कथा और पात्र को लक्ष्य तक पहुंचाता है एकांकी में यह क्रिया व्यापार सीधी रेखा में चलता है लेकिन नाटक में प्रायः टेढ़ी सीधी रेखा चलती है नाटक में इत्तर प्रसंगों के लिए अवसर होता है लेकिन एकांकी में भटकने की गुंजाइश नहीं होती है।
4. एकांकी में यथासाध्य जरूरी स्थितियों को ही कहने की चेष्टा की जाती है जबकि नाटक में देशकाल और वातावरण को थोड़े विस्तार से चित्रित करने का अवसर होता है। 5. भारतीय दृष्टि से नाटक में कथा को नियोजित संगठित करने के लिए अर्थ प्रकृति कार्यावस्था और नाट्य संधि का विधान किया गया है लेकिन एकांकी में इनकी आवश्यकता नहीं पड़ती है।
5. दोनों लड़कियां कौन है?
उत्तर- सिपाही की मां शीर्षक एकांकी में दो लड़कियों के नाम से दो पात्र है एक को पहली लड़की व दूसरी को दूसरी लड़की के रूप में संबोधित किया गया है दोनों लड़कियां वर्मा की रंगून नगर की है द्वितीय विश्व युद्ध के समय जब जापानी व हिंदुस्तानी सेना बर्मा में युद्ध कर रही थी तब वहां भयंकर रक्तपात हुआ था। लाखों वर्मा निवासी घर द्वार छोड़कर भारत की सीमा में घुस आए थे उन्हीं में से दो लड़कियों ने अपने परिवार की ग्यारह सदस्यों के साथ दुर्गम एवं बीहड़ जंगलों एवं दलदलों को पार करते हुए भारत में प्रवेश किया था उन्हीं दोनों लड़कियों की भेंट इस एकांकी की मुख्य पात्र विशनी से हो जाती है एवं खाने के लिए अन्न की मांग करती है बिशनी इन्हें भर कटोरा चावल देती है।
6. कुंती का परिचय आप किस तरह देंगे?
उत्तर- कुंती सिपाही की मां शीर्षक एकांकी में एक प्रमुख पात्र है यह एक अच्छी पड़ोसन के रूप में रंगमंच पर प्रस्तुत हुई है यद्यपि कुंती की भूमिका थोड़े समय के लिए है तब भी उसे थोड़े में आंका नहीं जा सकता वह बिशनी की पुत्री मुन्नी के विवाह के लिए चिंतित है। वह स्वयं मुन्नी के लिए वर घर खोजने को भी तैयार है वह बिशनी को सांत्वना भी देती हैं। बिशनीके पुत्र मानक के वर्मा की सकुशल लौटने की बात भी हुआ करती है। विशनी के प्रति उसकी सहानुभूति उसके शब्दों में स्पष्ट दिखाई पड़ती है वह कहती है तू इस तरह दिल क्यों हल्का कर रही है कुंती वर्मा के लड़कियों के प्रति थोड़ा कठोर दिखाई देती है उनके हाव-भाव एवं पहनावे तथा भिक्षाटन पर थोड़ा कुद्ध भी हो जाती है।
7. मानक और सिपाही एक दूसरे को क्यों मारना चाहते हैं?
उत्तर- मानक वर्मा की लड़ाई में भारत की ओर से अंग्रेजों के साथ लड़ने गया था। और दूसरी और के पक्ष जापानी थे। सेना एक दूसरे का दुश्मन है क्योंकि वह अपने अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हैं मानव और सिपाही अपने को एक दूसरे का दुश्मन समझते हैं इसलिए वे एक दूसरे को मारना चाहते हैं।
8. मानक स्वयं को वहशी और जानवर से भी बढ़कर क्यों कहता है?
उत्तर- सिपाही की मां शीर्षक एकांकी में मानक एक फौजी है। वह वर्मा में हिंदुस्तानी फौजी की ओर से जापानी सेना से युद्ध कर रहा है मानक और दुश्मन सिपाही एक दूसरे को घायल करते हैं मानक भागता हुआ अपनी मां के पास आता है दुश्मन सिपाही उसका पीछा करते हुए वहां पहुंच जाता है मानक की मां मानक को बचाना चाहती है इस पर दुश्मन सिपाही मानक को वहशी और जानवर कह कर पुकारते हैं। मानक का पौरूष जग उठता है तो घायल अवस्था में भी वह खड़ा होकर सिपाही को मारने का प्रयास करता है और क्रोध की स्थिति में वह स्वयं को वहशी और जानवर से भी बढ़कर कहता है मानक का ऐसा कहना अतिशयोक्ति नहीं है समय और परिस्थिति के अनुसार उसका कहना यथार्थ है दर्शकों की नजर मे मानक की उक्ति प्रभावकारी एवं आकर्षक है।
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