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पुष्पी पादपों में लैंगिक जनन
VVI subjective Q and Answer
1:- एरियल या बीजचोल क्या है?
Answer:- कुछ बीजों जैसे जायफल शरीफा लीची में बीजांडवृत्त की एक अतिवृद्धि भी होती है जो बीजांड के चारों ओर वृद्धि करती है और लगभग पूरे बीज को ढंक देती है इस प्रकार की अतिवृद्धि को बीजचोल या एरिल कहते हैं /
2:- सत्य फल क्या है?
Answer:- जब फूल का केवल अंडाशय ही फल के रूप में विकसित होता है उस तरह के फल को यथार्थ फल या सत्य फल खाते हैं/
3:- कूट फल या आभासी फल क्या है?
Answer:- कुछ पौधों जैसे सेब का जू अखरोट स्ट्रॉबेरी आदि में फल की रचना में पुष्पासन या बाध्यदलपुंज की महत्वपूर्ण भागीदारी रहती है इस प्रकार के फल को कूट फल या मिथ्या फल कहते हैं इसे आभासी फल भी कहा जाता है।
4:- सेब में पुष्पाशान कैसे होता है?
Answer:- सेब में पुष्पासन अंडाशय के चारों ओर बढ़ जाता है और गुदेदार हो जाता है ।
5:- स्व-परागण और पर-परागण में क्या अंतर है।
Answer:- स्व-परागण और पर-परागण में निम्नलिखित अंतर है
(I) स्व-परागण एक ही पुष्प के नार एवं मादा जननांगों के बीच अथवा उसी पौधों के पुष्पो में होता है जबकि पर परागण दो अलग-अलग पुष्प के नर एवं मादा जननांगो के बीच अथवा दो पौधों के दोनों पुष्पों में होता है।
(Ii) स्वपरागण के लिए पुष्पों का रंगीन चमकदार और बड़ा और आकर्षक होना आवश्यक नहीं है जबकि पर परागण के लिए पुष्पों का रंगीन चमकदार बड़ा और आवश्यक है ।
(Iii) स्व परागण के लिए उभय लिंगी पुष्प या द्विलिंगी पौधों का होना आवश्यक है जबकि पर परागण के लिए उभय लिंगी पुष्प या द्विलिंगी पौधों का होना आवश्यक नहीं है ।
(Iv) स्व परागण में परागकणो का व्यर्थ व्यय कम होता है जबकि पर परागण में पराग कणों का व्यर्थ व्यय अधिक होता है ।
(V) स्व परागण में बाध्य परागण साधनो की आवश्यकता नहीं होती है जबकि पर परागण में बाध्य परागण साधनों की आवश्यकता होती है।
(Vi) स्व परागण के फलस्वरुप बने हुए बीज हल्के एवं छोटे-छोटे है जबकि पर परागण के फलस्वरुप बने हुए बीच भारी एवं बड़े होते हैं।
(Vii) स्व परागण से बार-बार बने पौधे अस्वच्छ रहते हैं जबकि पर परागण से बार-बार है बने पौधे स्वच्छ रहते हैं।
(Viii) स्व परागण में पौधे की शुद्धता बनी रहती है जबकि पर परागण में पौधे की शुद्धता बनी नहीं रहती है।
(Ix) स्वपरागण में विभिनता एवं विकास की संभावना कम रहती है जबकि पर परागण में विभिनता एवं के विकास की संभावना अधिक रहती है।
(X) स्व परागित पुष्प अपने पर्यावरण के अनुसार अनुकूलित नहीं होते हैं जबकि पर परागित पुष्पा अपने पर्यावरण के अनुसार अनुकूलित होते हैं।
6:- स्व परागण से आप क्या समझते हैं ?
Answer:- जब एक ही पुष्प के परागण उसी पुष्प के परागण वर्तिकाग्र पर पहुंचते हैं या उसी पौधे के अन्य पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुंचते हैं स्व परागण कहलाता है/
7-: पर परागण से आप क्या समझते हैं ?
Answer-: जब एक पुष्प के परागकण दूसरे पौधे पर अवस्थित पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुंचते हैं तब उसे पर परागण कहते हैं/
8:- कीट परागण क्या है और इसकी क्या विशेषता है?
Answer:- उन पुष्पों को जिनमें किट द्वारा परागण होता है उन्हें किट परागित पुष्प कहा जाता है
इसकी विशेषताएं निम्नलिखित है
(I) अकेला पुष्प बड़ा और रंगीन होता है छोटे पुष्प एक साथ मिलकर एक बड़े पुष्प के समान रचना बनाते हैं जैसे:- सूर्यमुखी
(Ii) फुल सुगंधित होते हैं और इनमें किट को आकर्षित करने के लिए पर्याप्त मात्रा में भोजन रहता है /
(Iii) परागकण बड़े मोटी शक्ति वाले तथा उनकी सतह पर नुकीले कांटों की तरह की संरचनाएं होती है
9:- वायु परागित पुष्पों की क्या विशेषताएं हैं?
Answer:- वायु परागित पुष्पों की निम्नलिखित विशेषताएं हैं
(I) ये पुष्प भड़कीले नहीं होते हैं
(Ii) इसमें सुगंध का अभाव होता है
(Ii) ये प्रायः छोटे छोटे हैं
(Iv) प्रागकणों की संख्या अनगिनत होती है
(V) कुछ पौधो जैसे चीड़ में परागकण पंख द्वार होते हैं /
10-: जल परागण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखे अथवा जल परागण के सचित्र व्यवस्था करें अथवा वेलिसनेरिया के पौधे में किस तरह प्रारंभ होता है ।
Answer:- जल परागण में परागकण एक पुष्प से दूसरे पुष्प तक जल के माध्यम से पहुंचते हैं, जल परागण कहलाते हैं।
वेलिसनेरिया में निम्नलिखित तरह से परागण होता है-
वेलिसनेरिया में नर पौधे तथा मादा पौधे दोनों अलग-अलग होते हैं जा बे वेलिसनेरिया के नर पुष्प परिपक्व हो जाते हैं तब वे पौधे से विच्छेद होकर पानी पर तैरने लगते हैं । वेलिसनेरिया में माधव पौधे वृत्त लंबाई में वृद्धि करके पुष्प को जल की सतह के ऊपर आ जाता है। नर पुष्प जैसे ही मादा पुष्प के संपर्क में आता है पराग कोषो से परागकण निकल कर वर्तिकाग्रह से चिपक जाते हैं और इस प्रकार वेलिसनेरिया में पर परागण होता है। परागण के पश्चात माधव पुष्पों के वृंत कुंडलीत होकर फिर पानी के भीतर चले जाते हैं जहां बीज और फलों का निर्माण होता है।
11:- मादा युग्मकोद्विद के एक बीजाणु विकास से आप क्या समझते हैं?
Answer:- मादा युग्मकोद्विद या भ्रूण कोष अगुणित गुरुबीजाणु से विकसित होता है गुरु बीजाणु जनन में चार अणुगीत गुरु बीजाणु बनते हैं।
(i) बीजाणु में मादा युग्मकोद्विद या भ्रूणकोष एकल क्रियाशील गुरु बीजाणु से वृद्धि करता है शेष तीन गुरु बीजाणु नष्ट हो जाते हैं।
12:- स्व- अयोग्यता क्या है ?
Answer :- स्व अयोग्यता या स्व-बंधता उभयलिंगी या ड्रिलिंगी पौधों की अयोग्यता है जो क्रियात्मक नर व मादा युग्मक उत्पन्न करने के बजाएं स्व परागण करने पर योग्य बीच उत्पन्न करते हैं।
13:- पॉलीगोनम टाइप किया है?
Answer:- अधिकांश पुष्पी पादपों में गुरु बीजाणुओ में से एक कार्यशील होता है जबकि अन्य तीन अपविकसित हो जाते हैं। केवल कार्यशील गुरूबीजाणु स्त्री (मादा) युग्मको द्वीद(भ्रूणकोष) के रूप में विकसित होता है एक अकेले गुरुबीजाणु से भ्रूण बनाने की विधि को एक बीजाणुज विकास कहा जाता है। इस प्रकार के भ्रूण कोष विकास को पॉलीगोनम टाइप कहा जाता है ।