vicharak vishwas aur imaraten class 12th vvi subjective question

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vicharak vishwas aur imaraten class 12th vvi subjective question

4. विचारक विश्वास और इमारतें (संस्कृतिक विकास)

 

1. दिगम्बर एवं श्वेताम्बर कौन थे? [BSEB-: 2018]
Ans-> श्वेताम्बर तथा दिगम्बर मौर्य युग में जैन धर्म की दो शाखाएँ था । कहा जाता है कि चन्द्रगुप्त मौर्य के शासनकाल के अन्तिम वर्षों में मगध में बड़ा भारी अकाल पड़ा। इस अकाल के कारण, भद्रबाहु अपने अनुयायियों सहित वापिस लौटकर आये, तो उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उत्तरी भारत के जैनियों ने अपनी पुरानी परम्पराओं को बिल्कुल छोड़ दिया है। अब वे नंगे नहीं रहते बल्कि सफेद कपड़े पहनते हैं। तब से ही दक्षिण से वापिस आये जैन साधु दिगम्बर कहलाए तथा मगध में रहे जैन साधु श्वेताम्बर कहलाए।

2. बौद्ध धर्म के अष्टांगिक मार्ग के नाम बताइए। [BSEB-: 2021, 2019]
Ans. अष्टांगिक मार्ग निम्न हैं-
(i). सम्यक् दृष्टि : चार आर्य सत्यों की सही परख।
(ii). सम्यक् वाणी: धर्मसम्मत एवं मृदु वाणी का प्रयोग।
(iii). सम्यक् संकल्प : भौतिक वस्तु एवं दुर्भावना का त्याग।
(iv). सम्यक् कर्म : सत् कर्म करना।
(v). सम्यक् आजीव : सदाचारी जीवन जीते हुए ईमानदारी से आजीविका कमाना।
(vi). सम्यक् व्यायाम : विवेकपूर्ण प्रयत्न एवं शुद्ध विचार ग्रहण करना।
(vii). सम्यक् स्मृति : अपने कर्मों के प्रति विवेक तथा सावधानी को सदैव स्मरण रखना।
(viii). सम्यक् समाधि : वित्त की समुचित एकाग्रता।

3. बौद्ध संगीतियाँ क्यों बुलाई गयी ?
[BSEB-: 2010]
Ans. बौद्ध धर्म के प्रचार एवं इसमें सुधार करने के लिए समय-समय पर बौद्ध सभाओं का आयोजन किया जाता था जिन्हें बौद्ध संगीतियों के नाम से जाना जाता है। इसके लिए चार बौद्ध संगीतियों का महत्वपूर्ण योगदान है।
(i). राजगृह की प्रथम बौद्ध संगीति:
(ii). वैशाली की द्वितीय संगीति
(iii). पाटलिपुत्र की तृतीय संगीति:
(iv). कश्मीर की चतुर्थ संगीति

4. जैन धर्म की महत्त्वपूर्ण उपदेशों/शिक्षाओं का वर्णन करें। [BSEB-: 2013]
Ans. जैन धर्म की महत्त्वपूर्ण शिक्षाएँ निम्नलिखित हैं-
(i) जैन धर्म की सबसे महत्त्वपूर्ण शिक्षा यह है कि सम्पूर्ण विश्व प्राणवान है। यहाँ तक कि पत्थर, चट्टान और जल में भी जीवन होता है।
(ii) जीवों के प्रति अहिंसा-खासकर इंसानों, जानवरों, पेड़-पौधों और कीड़े-मकोड़ों को न मारना जैन दर्शन का केन्द्र बिन्दु है।
(iii) जैन मान्यता के अनुसार जन्म और पुनर्जन्म का चक्र कर्म के द्वारा निर्धारित होता
है।
(iv) जैन साधु और साध्वी पाँच व्रत करते थे हत्या न करना, चोरी नहीं करना, झूठ न बोलना, ब्रह्मचर्य वत और धन संग्रह न करना।

5. मुगलकालीन सिचाई व्यवस्था पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें। [BSEB-: 2019]
Ans. मुगल काल में सिचाई हेतु कुँए, नहर आदि का उपयोग किया जाता था। फिरोज साह तुगलक (1351-1388 ई०) ने उत्तर भारत में नहरों का जाल बिछवाया था। 16वीं शदी के प्रारम्भ में पंजाब और सतलज के क्षेत्र में प्रयुक्त पूर्ण रूप से विकसित यंत्र का वर्णन मिलता है।

6. गुप्तकाल के विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर प्रकाश डालें। [BSEB-: 2021]
Ans. गुप्तकाल में विज्ञान के क्षेत्र में अभूतपूर्व उन्नति हुई थी। गणित, रसायन विज्ञान, पदार्थ विज्ञान, धातु विज्ञान और ज्योतिष आदि की इस काल में काफी प्रगति हुई थी। दशमलव-भिन्न की खोज और रेखागणित का अभ्यास इसी काल की देन है। आर्यभट्ट इस युग के ख्याति-प्राप्त गणितज्ञ और ज्योतिषी थे। उनका ग्रहण के संबंध में विचार वास्तव में वैज्ञानिक है। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है।

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