राजा किसान और नगर class 12th history vvi subjective question

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राजा किसान और नगर class 12th history vvi subjective question

1. इतिहास लेखन में अभिलेखों का क्या महत्व है? [BSEB-: 2013, 2018, 2020]
Ans-: अभिलेख उन्हें कहते हैं जो पत्थर, धातु या मिट्टी के बर्तन जैसी कठोर सतह पर खुदे हुए होते हैं। अभिलेखों में उन लोगों की उपलब्धियाँ, क्रियाकलाप या विचार लिखे जाते हैं,
@ अभिलेख की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
• अभिलेख एक प्रकार से स्थायी प्रमाण होते हैं। कई अभिलेखों में इनके निर्माण की तिथि भी खुदी होती है।
• प्राचीनतम अभिलेख प्राकृत भाषाओं में लिखे जाते थे। प्राकृत उन भाषाओं को कहा जाता था जो जनसामान्य की भाषाएँ होती थीं।

2. मौर्यकालीन इतिहास के प्रमुख स्रोतों का उल्लेख कीजिए। [BSEB-: 2015, 2019]
Ans- मौर्य वंश के इतिहास की जानकारी साहित्यिक और पुरातात्विक दोनों स्रोत से होती है। साहित्यिक स्रोतों में यूनानी यात्री मेगस्थनीज द्वारा लिखा गया वृतांत और कौटिल्य का अर्थशास्त्र महत्वपूर्ण है। पुरातात्विक स्रोतों में अशोक के अभिलेख महत्वपूर्ण है। ये अभिलेख अशोक के विचारों की अच्छी जानकारी देते हैं। इसमें उसके धर्म के प्रचार का भी उल्लेख है।

3. अशोक के धम्म के बारे में आप क्या जानते हैं? [BSEB-: 2014, 2013, 2011]
Ans-: सम्राट अशोक ने कहा कि प्रत्येक मनुष्य को अपने माता-पिता की सेवा करनी चाहिए, शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए और अहिंसा एवं सच्चाई का पालन करना चाहिए. उन्होंने सभी मनुष्य से पशु वध और बलि से बचने के लिए कहा. उन्होंने जानवरों, नौकरों और कैदियों के साथ मानवीय व्यवहार न करने की बात कही

4. मौर्य प्रशासन की जानकारी दें। [BSEB->2012]
Ans-: मेगास्थनीज के वृतान्त से पता चलता है कि पाटलिपुत्र जैसे बड़े नगरों के लिए विशेष नागरिक प्रबंध की व्यवस्था की गई थी। इस नगर के लिए बीस सदस्यों की एक समिति थी, जो बोर्ड में विभक्त की गई थी। प्रत्येक बोर्ड में पाँच सदस्य होते थे। ये बोर्ड निम्नलिखित ढंग से अपना कार्य करते थे-
• पहले का कार्य कला-कौशल की देखभाल
• दूसरे का कार्य विदेशियों की देखभाल करना,
• तीसरे बोर्ड का कार्य जन्म-मरण का हिसाब रखना था
• चौथे का कार्य व्यापार का प्रबंध करना।
• पाँचवे का कार्य शिल्पालयों में बनी वस्तुओं की देखभाल करना।

5. चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य की उपलब्धियों का वर्णन करें। [BSEB->2017, 2014, 2011]
Ans-> चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य की गिनती भारत के योग्य सम्म्राटों में की जाती है। वह एक सफल तथा महान विजेता था। वह साहसी व्यक्ति था। वह कठिन परिस्थितियों में भी अपने धैर्य को नहीं खोता था। उसने अपने बाहुबल से गुप्त साम्राज्य का विस्तार कर उसकी अनन्त सेवा की जिसके फलस्वरूप गुप्त साम्राज्य की नींव कभी कमजोर नहीं हुई। वह एक बेजोड़ सेनानायक था। वह अपने देश में विदेशियों को देखना नहीं चाहता था। इसलिए उसने उनको यहाँ से खदेड़ दिया था।

6. मौर्यकालीन कला की विशेषताएँ बताएँ। [BSEB->2019]
Ans-> मौर्यों काल की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
(i) इस युग के स्मारकों, स्तूपों आदि पर जो लेप किया गया है वह आज भी यथावत है।
(ii) भाव प्रकाशन तथा प्रदर्शन में पूर्ण समर्थता है।
(iii) लोक कला की शैली प्रभावशाली, अभूतपूर्व और मौलिक है।

7. महाजनपद से आप क्या समझते हैं?
[BSEB->2020]
Ans-: महाजन जनपद का क्षेत्र आज एक राज्य के आकार का बड़ा क्षेत्र होता था प्रणाम में शासन की छोटी इकाई जन कहलाते थे जो आगे विस्तृत होकर जनपद के रूप में जानी गई जनपद आधुनिक जिले के समक्ष था आज भी यूपी के जिले जनपद के रूप में जाने जाते हैं जनपद का विस्तृत क्षेत्र महाजनपद काल आए भारत के समय में 16 महाजनपद थे

8. सातवाहन कौन थे? [BSEB->2018]
Ans-> दक्कन और मध्य भारत में मौर्यों के उत्तराधिकारी सातवाहन हुए। इस वंश
के शासक अपने अपको ब्राह्मण मानते थे। इसके साथ वे स्वयं को क्षत्रिय शासकों का नाश करने वाले बताते थे।

9. गांधार कला की विशेषताओं का उल्लेख करें। [BSEB-: 2009]
Ans-: गांधार कला की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
(a) गांधार कला की विषय-वस्तु भारतीय तथा तकनीक यूनानी है।
(b) गांधार कला में निर्मित मूर्तियाँ साधारणतया स्लेटी पत्थर में है।
(c) भगवान बुद्ध के बाल यूनान तथा राम की शैली में बनाये गये है।
(d) मूर्तियों में शरीर के अंगों को ध्यानपूर्वक बनाया गया है।

10. अशोक के अभिलेखों पर टिप्पणी लिखें।
[BSEB->2021]
Ans-: अशोक के अभिलेख इतिहासकारों में तीन प्रकार के राज्यादेश मिले हैं-
(i) इनमें सबसे प्रसिद्ध सात राज्यादेश हैं जो दिल्ली,मेरठ, इलाहाबाद, राजपुरवा (बिहार), लोरिया ऐराज (बिहार) आदि स्थानों पर पाए गये हैं। इनमें अशोक के धर्म व नीति का वर्णन है।
(ii) दूसरी प्रकार के लेख लघु राज्यादेश के नाम से प्रसिद्ध हैं। ये सारनाथ (बनारस), साँची (भोपाल), इलाहाबाद आदि स्थानों पर मिले हैं।
(iii) तीसरी प्रकार के तराई के स्तम्भ लेख हैं जो रूमिन्दी और निगलिवा (नेपाल की तराई) में पाये गये हैं।

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