एक लेख और एक पत्र class 12th Hindi Subjective question || class 12th Hindi Subjective question
* Chapter नाम = एक लेख और एक पत्र
* लेखक का नाम = भगत सिंह
* जन्म = 27 सितंबर 1907
* निधन = 23 मार्च 1931 (आयु 23)
»सारांश« भगत सिंह महान क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी और विचारक थे। भगत सिंह विद्यार्थी और राजनीति के माध्यम से बताते हैं कि विद्यार्थी को पढ़ने के साथ ही राजनीति में भी दिलचस्पी लेनी चाहिए यदि कोई इसे मना कर रहा है तो समझना चाहिए कि यह राजनीति के पीछे घोर षड्यंत्र है। क्योंकि विद्यार्थी युवा होते हैं उन्हीं के हाथ में देश की बागडोर है भगत सिंह व्यावहारिक राजनीति का उदाहरण देते हुए नौजवानों को यह समझाते हैं कि महात्मा गांधी जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस का स्वागत करना और भाषण सुनना है
व्यावहारिक राजनीति नहीं तो और क्या है इसी बहाने वे हिंदुस्तानी राजनीति पर तीक्ष्ण नजर भी डालते हैं। भगत सिंह मानते हैं कि हिंदुस्तान को इस समय ऐसे देश सेवकों की जरूरत है जो तन-मन-धन देश पर अर्पित कर दे और पागलों की तरह सारी उम्र देश की आजादी या उसके विकास में न्योछावर कर दें। क्योंकि विद्यार्थी देश दुनिया के हर समस्याओं से परिचित होते हैं उनके पास अपना विवेक होता है। वह इन समस्याओं के समाधान में योगदान दें सकते हैं अतः विद्यार्थी को पॉलिटिक्स में भाग लेने चाहिए।
सब्जेक्टिव –
1. विद्यार्थियों को राजनीति में भाग क्यों लेना चाहिए?
उत्तर- विद्यार्थियों को राजनीति में भाग इसलिए लेना चाहिए क्योंकि उन्हें ही कल देश की बागडोर अपने हाथ में लेनी है अगर वे आज से ही राजनीति में भाग नहीं लेंगे तो आने वाले समय में देश की भली भांति नहीं संभाल पाएंगे जिससे देश का विकास न हो सकेगा।
2. भगत सिंह की विद्यार्थियों से क्या अपेक्षाएं हैं?
उत्तर- भगत सिंह की विद्यार्थियों से बहुत सी अपेक्षाएं हैं वे चाहते हैं कि विद्यार्थी राजनीति तथा देश की परिस्थितियों का ज्ञान प्राप्त करें और उनके सुधार के उपाय सोचने की योग्यता पैदा करें। वह देश की सेवा में तन मन धन से जुट जाएं और अपने प्राण न्योछावर करने में भी पीछे न हटे।
3. भगत सिंह ने कैसी मृत्यु को सुंदर कहा है? वे आत्महत्या को कायरता कहते हैं इस संबंध में उनके विचारों को स्पष्ट करा
उत्तर- क्रांतिकारी सरदार भगत सिंह देश सेवा के बदले दी गई फांसी मृत्युदंड को सुंदर मृत्यु कहां है भगत सिंह इस संदर्भ में कहते हैं कि जब देश के भाग्य का निर्णय हो रहा हो तो व्यक्तियों को भाग्य को पूर्णतया भुला देनी चाहिए। इसी हढ़ इच्छा के साथ हमारी मुक्ति का प्रस्ताव सम्मिलित रूप में और विश्वव्यापी हो और उसके साथ ही जब यह आंदोलन अपने चरम सीमा पर पहुंचे तो हमें फांसी दे दी जाए। यह मृत्यु भगत सिंह के लिए सुंदर होगी जिसमें हमारे देश का कल्याण होगा शोषक यहां से चले जाएंगे और हम अपना कार्य स्वयं करेंगे किसी के साथ व्यापक समाजवाद की घटना भी करते हैं जिसमें हमारी मृत्यु बेकार ना जाए
अर्थात संघर्ष में मरना एक आदर्श मृत्यु है भगत सिंह आत्महत्या को कायस्ता कहते हैं क्योंकि कोई भी व्यक्ति जो आत्महत्या करेगा वह थोड़ा दुख कष्ट सहने के चलते करेगा वह अपना समस्त मूल्य एक ही क्षण में खो देगा। इस संदर्भ में उनका विचार है कि मेरे जैसे विश्वास और विचारों वाला व्यक्ति व्यर्थ में मरना कदापि सहन नहीं कर सकता हम तो अपने जीवन का अधिक से अधिक मूल्य प्राप्त करना चाहते हैं हम मानवता की अधिक से अधिक सेवा करना चाहते हैं संघर्ष में मरना एक आदर्श मृत्यु हाय प्रयत्नशील होना एवं श्रेष्ठ और उत्कृष्ट आदर्श के लिए जीवन दे देना कदापि आत्महत्या नहीं कही जा सकती भगत सिंह आत्महत्या को इसलिए कहते हैं कि केवल कुछ दिनों से बचने के लिए अपने जीवन को समाप्त कर देते हैं इस संदर्भ में वह एक विचार भी देते हैं कि विपत्तियां व्यक्ति को पूर्ण बनाने वाली होती है।
@ सप्रसंग व्याख्या करें –
1. मैं आपको बताना चाहता हूं कि विपत्तियां व्यक्ति को पूर्ण बनाने वाली होती है?
उत्तर- भगत सिंह का मानना है कि विपत्तियां मनुष्य को पूर्ण बनाती है अर्थात मनुष्य सुख की स्थिति में तो बड़े ही आराम से रहता है लेकिन जब उस पर कोई दुख आता है तो वह उसे दूर करने के प्रयास करता है जिससे उसका ज्ञान तथा कार्य क्षमता बढ़ती है और वह पूर्णतः पाता है।
2. हम तो केवल अपने समय की आवश्यकता की उपम है?
उत्तर- भगत सिंह के अनुसार यदि मनुष्य यह सोचने लगे कि अगर मैं कोई कार्य नहीं करूंगा तो वह कार्य नहीं होगा तो यह पूर्णतः गलत है। वास्तव में मनुष्य विवार को जन्म देने वाला नहीं होता अपितु परिस्थितियां विशेष विचारों वाले व्यक्तियों को पैदा करती है अर्थात हम तो केवत अपने समय की आवश्यकता की उपज है।
3. मनुष्य को अपने विश्वासों पर दृढ़तापूर्वक अडिग रहने का प्रयत्न करना चाहिए?
उत्तर- भगत सिंह कहते हैं कि हमें एक बार किसी लक्ष्य या उद्देश्य का निर्धारण करने के बाद उस पर अडिग रहना चाहिए। हमें विश्वास रखना चाहिए कि हम अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त कर लेंगे।
4. भगत सिंह ने अपनी फांसी के लिए किस समय की इच्छा व्यक्त की है वे ऐसा समय क्यों चुनते हैं?
उत्तर- भगत सिंह ने अपनी फांसी के लिए इच्छा व्यक्त करते हुए कहा है कि जब यह आंदोलन अपनी चरम सीमा पर पहुंचे तो हमें फांसी दे दी जाए। वे ऐसा समय इसलिए चुनते हैं क्योंकि वह नहीं चाहते कि यदि कोई सम्मानपूर्ण या उचित समझौता होना हो तो उन जैसे व्यक्तित्रयों का मामला उसमें कोई रुकावट उत्पन्न करें
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