Bandhutva jati tatha varg class 12th vvi subjective question
3. बंधुत्व, जाति तथा वर्ग (आरंभिक समाज)
1. श्रीमद्भगवद्गीता पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें। [BSEB-: 2018, 2020]
Ans-> भगवद्गीता महाभारत का सबसे महत्वपूर्ण उपदेशात्मक अंश है। ‘भगवद्गीता’ का शाब्दिक अर्थ है- ‘भगवान् का गीत’। लगभग सभी हिन्दू परिवारों में इसका पाठ किया जाता है। इस ग्रंथ में 18 अध्याय है। इसकी मूल भाषा संस्कृत है। परन्तु आज इसका विश्व की अनेक भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। महाभारत के युद्ध में श्री कृष्ण अर्जुन के सारथी बने थे। कुरुक्षेत्र में कौरवों तथा पांडवों की सेनाएँ युद्ध लड़ने के लिए आमने-सामने खड़ी थीं। अर्जुन ने कौरवों की सेना में अपने सगे-संबंधियों को देखकर युद्ध करने से इंकार कर दिया। वह अपने हाथों से अपने भाइयों तथा अन्य संबंधियों को नहीं मारना चाहता था। ऐसे अवसर पर श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कर्म करने का उपदेश दिया। यही उपदेश इतिहास में ‘गीता’ के नाम से प्रसिद्ध है।
2. ‘त्रिपिटक’ के विषय में आप क्या जानते हैं? [ BSEB-: 2019, 2021]
Ans-> त्रिपिटक का शाब्दिक अर्थ है-तीन टोकरियाँ जिनमें कि पुस्तक रखी जाती हैं। बुद्ध की मृत्यु के पश्चात् उनके अनुयायियों ने उनकी शिक्षाओं का संकलन तीन पिटको सुत्तपिटक, विनयपिटक एवं अभिधम्मपिटक में किया। इन्हें संयुक्त रूप से त्रिपिटक कहा जाता है।
3. जाति और वर्ण में अन्तर बताएँ।
Ans. प्राचीन काल में हिन्दू समाज में केवल चार जातियाँ थीं ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। समाज का यह बँटवारा कर्म अथवा व्यवसाय के आधार पर किया गया था। धीरे-धीरे इस बँटवारे का आधार कर्म न होकर जन्म हो गया और जातियों की संख्या में भी वृद्धि होने लगी और आज भारतीय समाज में 3,000 से भी अधिक जातियाँ हैं।
@ वर्ण-व्यवस्था -: महाकाव्य युग में जाति-प्रथा निश्चित रूप से स्थापित हो चुकी थी। महाकाव्यों में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र का उल्लेख है। रामायण के चारों वर्णों की उत्पत्ति परम पुरुष से बनाई गई है। ब्राह्मण की उत्पत्ति परम पुरुष के मुख से, क्षत्रियों की भुजाओं से, वैश्यों की पेट से और शूद्रों की चरणों से हुई।
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