12th हिंदी व्याख्या (अर्थ स्पष्ट करें) long Q & Ans..

12th hindi व्याख्या (अर्थ स्पष्ट करें)

Q. पवन की प्राचीर में रुक 
जला जीवन जा रहा झुक
इस झुलसते विश्व वन कि
मैं कुसुम ऋतु रात रे मन

Answer-: ⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️
प्रस्तुत पद तुमु कोलाहल कलह में शीर्षक गीत से लिया गया है यह गीत जयशंकर प्रसाद के महाकाव्य कामायानी से लिया गया है श्रद्धा कहती है कि सारा विश्वरूपी वन युद्ध के दावानल ( जंगल की आग) से झुलस रहा है मानव जीवन उस दावानल से बुरी तरह फंसी हुई है। मानव जीवन उस युद्ध रूपी दावानल की गर्मी से झुलस कर बेदम हुआ जा रहा है। श्रद्धा कहती है कि मैं झूलते हुए विश्वरूप वन के लिए वसंत ऋतु की रात की शीतलता लेकर आती हूं और अपनी शीतलता से प्राणियों को नया जीवन देती हूं

Q. कि हर आदमी
जो मेहनतकश
लोहा है
हर वो औरत दबी सतायी 
बोझ उठाने वाली लोहा

Answer-:⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️
प्रस्तुत पंक्ति ‘प्यारे नन्हे बेटे को’ कविता से ली गई है जिसके कवि विनोद कुमार शुक्ल जी हैं वे इस पंक्ति के माध्यम से कहना चाहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति जो श्रम-साध्य कार्य करता है कठोर परिश्रम जिसके जीवन का लक्ष्य है वह लोहे के सामान शक्तिशाली तथा ऊर्जावान होता है उसी प्रकार बोझ उठाने वाली दमन तथा शोषण की शिकार महिला भी लोहा के समान शक्ति तथा ऊर्जा से संपन्न होती है

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page