बातचीत
| बालकृष्ण भट्ट | निबंध
पाठ के सारांश
प्रस्तुत कहानी बातचीत के लेखक महान पत्रकार बालकृष्ण भट्ट है। बालकृष्ण भट्ट आधुनिक हिंदी गद्य के आदि निर्माताओं और उन्नायक रचनाकारों में एक है बालकृष्ण भट्ट जी बातचीत निबंध के माध्यम से मनुष्य की ईश्वर द्वारा दी गई अनमोल वस्तु वाक शक्ति का सही इस्तेमाल करने को बताते हैं। महान लेखक बताते हैं कि यदि मनुष्य में वाकशक्ति न होती तो हम नहीं जानते कि इस गूंगी सृष्टि का क्या हाल होता है। सब लोग मानव लुंज
पुंज अवस्था में एक कोने में बैठा दिए गए होते। लेखक बातचीत के विभिन्न तरीके भी बताते हैं। यथा घरेलू बातचीत मन रमाने का ढंग हैं। वे बताते हैं कि जहां आदमी की अपनी जिंदगी मजेदार बनाने के लिए खाने पीने चलने फिरने आदि की जरूरत है इसी प्रकार बातचीत की भी अत्यंत आवश्यकता है। हमारे मन में जो कुछ मवाद (गंदगी) या धुआं जमा रहता है वह बातचीत के जरिए भाप बनकर हमारे मन में बाहर निकल पड़ता है। इससे हमारा चित्त हल्का और स्वच्छ हो परम आनंद में मग्न हो जाता है। हमारे जीवन में बातचीत का भी एक खास तरह का मजा होता है। यही नहीं भट्ट जी बताते हैं कि जब तक मनुष्य बोलता नहीं तब तक उसका गुण दोष प्रकट नहीं होता महान विद्वान वेन जॉनसन का कहना है कि बोलने से ही मनुष्य के रूप का सही साक्षात्कार हो पाता है वे कहते हैं कि चार से अधिक की बातचीत तो केवल राम-रमौवल कहलाएगी। यूरोप के लोगों से बातचीत का हुनर है जिसे आर्ट ऑफ कनवरसेशन कहते हैं। इस प्रसंग में ऐसे चतुराई से प्रसंग छोड़े जाते हैं कि जिन्हें कान से सुन अत्यंत सुख मिलता हैं। हिंदी में इसका नाम सुहृद गोष्टी है। बालकृष्ण भट्ट बातचीत का उत्तम तरीका यह मानते हैं कि हम वह शक्ति पैदा करें कि अपने आप बात कर लिया करें। इस प्रकार आर्ट ऑफ कनवरसेशन मनुष्य के द्वारा आपस में •बातचीत की उत्तम कला है जिसके द्वारा बातचीत को हमेशा आनंदमय बनाए रहते हैं।
Subjective question And answer
1-: अगर हमें वाक् शक्ति न होती, तो क्या होता ?
उत्तर-:हममें वाकशक्ति न होती तो मनुष्य गूंगा होता, मनुष्य को सृष्टि की सबसे महत्वपूर्ण देन उसकी वाकशक्ति है। इसी वाक शक्ति के कारण वह समाज में वार्तालाप करता है वह अपनी
बातों को अभिव्यक्त करता है और उसकी यही अभिव्यक्त वाक शक्ति भाषा कहलाती है व्यक्ति समाज में रहता है, इसलिए अन्य व्यक्ति के साथ उसका पारस्परिक संबंध और कुछ जरूरतें होती है। जिसके कारण वह वार्तालाप करता है या ईश्वर द्वारा दी हुई मनुष्य की अनमोल कृति हैं इसी वाकशक्ति के कारण वह मनुष्य है। यदि हमें इसी वक्त शक्ति का अभाव होता तो मनुष्य जानवरों की भांति ही होता वह अपनी क्रियाओं को अभिव्यक्त नहीं कर पाता जो हम सुख दुख इंद्रियों के कारण अनुभव करते हैं वह अवाक रहने के कारण नहीं हो पाते |
2-: बातचीत के संबंध में बेन जॉनसन और एडिशन के क्या विचार हैं?
उत्तर-: बातचीत के संबंध में बेन जॉनसन का मत हैं कि बोलने से ही मनुष्य के रूप का साक्षात्कार होता है यह बहुत ही उचित जान पड़ता है |
एडिशन का मत है कि असल बातचीत से दो व्यक्तियों में हो सकती है जिसका तात्पर्य हुआ जब दो आदमी होते हैं तभी अपना दिल एक दूसरे के सामने खोलते हैं जब तीन हुए तब वह दो बात कोसों दूर गई कहा भी हैं कि छह कानों में पड़ी बात खुल जाती है दूसरे यह कि किसी तीसरे आदमी के आ जाते ही या तो वे दोनों अपनी बातचीत से निरस्त हो बैठेंगे या उससे निपट मूर्ख अज्ञानी समझा बना लेंगे |
जैसे गर्म दूध और ठंडे पानी के दो बर्तन पास पास सटाके रखे जाए तो एक का असर दूसरे में पहुंच जाता है अर्थात दूध ठंडा हो जाता है और पानी गर्म वैसे ही दो आदमी आपस बैठे हो तो एक का गुप्त असर दूसरे पर पहुंच जाता है चाहे एक दूसरे को देखे ही नहीं तब बोलने को कौन करें एक के शरीर की विद्युत दूसरे में प्रवेश करने लगती है जब पास बैठने का इतना असर होता है तब बातचीत में कितना अधिक असर होगा इसे कौन नहीं स्वीकार करेगा
3-: आर्ट ऑफ कन्वर्सेशन क्या है ?
उत्तर– आर्ट ऑफ कन्वर्सेशन बातचीत करने की कला प्रविधि है जो यूरोप के लोगों में ज्यादा प्रचलित हैं इस बातचीत की प्रविधि की पूर्ण शोभा काव्य कला प्रवीण विद्धद् मंडली में है ऐसी चतुराई के साथ इसमें प्रसंग में छोड़े जाते हैं कि जिन्हें सुन कान को अत्यंत सुख मिलता है साथ ही इसका अन्य नाम शुद्ध गोष्ठी है शुद्ध गोष्टी की बातचीत की जा तारीफ है कि बात करने वालों की लियाकत अथवा पंडिताई का अभिमान या कपट कहीं एक बात में ही प्रकट नहीं होता दयनीय स्थिति यह है कि हमारे यहां के पंडित आधुनिक शुष्क बातचीत में जिसे शास्त्रार्थ होते हैं वैसा रस नहीं घोल सकते हैं।
इस प्रकार आर्ट ऑफ कन्वर्सेशन मनुष्य के द्वारा आपस में बातचीत की उत्तम कला है जिसके द्वारा मनुष्य बातचीत को हमेशा आनंदमय बनाए रहते हैं |
4-: मनुष्य की बातचीत का उत्तम तरीका क्या हो सकता है? इसके द्वारा वह कैसे अपने लिए सर्वथा नवीन की रचना कर सकता है ?
उत्तर-; मनुष्य की बातचीत का सबसे उत्तम तरीका उसका आत्मा वार्तालाप है वह अपने अंदर ऐसी शक्ति विकसित करें जिस कारण वह अपने आप से बात कर लिया करें आत्मा वार्तालाप से तात्पर्य क्रोध पर नियंत्रण है जिसके कारण अन्य किसी व्यक्ति को कष्ट न पहुंचे क्योंकि हमारी भीतरी मनोवृति प्रतिक्षण नए नए रंग दिखाया करती है वह हमेशा बदलती रहती है लेखक इस मन को प्रपंचात्मक संसार का एक बड़ा भारी आईना के रूप में देखता है जिसमें जैसे चाहो वैसे सूरत देख लेना कोई असंभव बात नहीं अतः मनुष्य को चाहिए कि मन को चित्त को एकाग्र कर मनोवृति स्थिर कर अपने आप से बातचीत करना चाहिए इससे आत्म चेतना का विकास होगा उस वाणी पर नियंत्रण हो जाएगा जिसके कारण दुनिया में किसी से न वैर रहेगा और ि प्रयास के हम बड़े-बड़े अजेय शत्रु पर भी विजय पा सकते हैं यदि ऐसा हुआ तो हम सर्वथा एक नए संसार की रचना कर सकते हैं अतः व्यक्ति को चाहिए कि अपने जिहवा को काबू में रख कर मधुरता से सिक्त वाणी बोले मनुष्य के बातचीत करने का यही उत्तम तरीका हैं |
5-: सच है जब तक मनुष्य बोलता नहीं तब तक उसका गुण दोष प्रकट नहीं होता?
उत्तर-: प्रस्तुत पंक्तियां बालकृष्ण भट्ट के निबंध बातचीत चली गई हैं लेखक इस निबंध के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि बातचीत का एक विशेष तरीका होता है जिसके कारण मनुष्य आपस में प्रेम से बात कर उसका आनंद उठाते हैं परंतु व्यक्ति जब वाचाल हो जाता है अथवा बातचीत के दौरान अपने आप पर काबू नहीं रख पाता है तो वह दोष है परंतु जब वह बड़ी संजीदगी से सलीके से बातचीत करता है तो वह गुण है और उसी का पता देता है मनुष्य के मूक रहने के कारण उसकी चरित्र का कुछ पता नहीं चलता है जब दो आदमी साथ बातचीत करते हैं तो अपने दिल एक दूसरे के सामने खोलते हैं इसको लेपन में किसी की शिकायत किसी की अच्छाई किसी की बुराई होती है और इससे व्यक्ति का गुण दोष प्रकट हो जाता है।
बेन जॉनसन इस संदर्भ में कहते हैं कि बोलने से मनुष्य का साक्षात्कार होता है उसकी पहचान सामने आती है यह आदमी की अपनी जिंदगी मजेदार बनाने के लिए खाने-पीने चलने फिरने आदि की जरूरत होती है वहां बातचीत की अत्यंत आवश्यकता है जहां कुछ धुआ जमा रहता है वह बातचीत के जरिए भाप बनकर बाहर निकल पड़ता है कहने का आशय यह है कि मनुष्य के मन के अंदर बहुत सी परते जमी रहती हैं जिनमें कुछ अच्छी और कुछ बुरी होती हैं ऑडियो बातचीत के दौरान हमारी जिहवा से प्रकट हो जाता है अतः बोलने से ही मनुष्य के गुण दोष की पहचान होती है और उसका जरिया है बातचीत
6-: राम रमौवल का क्या अर्थ है ?
उत्तर-: राम-रमौवल चार से अधिक व्यक्तियों की बातचीत राम-रामौवल कहलाती है। राम श्याम मोहन और सोहन रेलगाड़ी में राम-रामौवल कर रहे थे |
JP university 1st Merit list jari 2025 admission 🗓 मेधा सूची और नामांकन की प्रमुख…
B.A/B.sc/B.com UG Admission 1st Merit list Jari 2025-2029 बिहार बोर्ड / बिहार विश्वविद्यालय (BRABU, पटना…
जीत जीत में निरखत हूँ class 10th objective question 1) जीत जीत में निरखत हूँ…
परम्परा का मूल्यांकन class 10th objective question 1) "जारशाही' कहाँ थी ? A. रूस में…
Class 10th Hindi chapter 6 (बहादुर) objective quesṭion 1) बहादुर कहाँ का रहने वाला था…
Patliputra University, Patna 2nd merit List jari 2025-29 🎓 1वीं मेरिट लिस्ट (UG 2025‑29) प्रकाशित:…