class 10th Sanskrit Sent-up Exam 2024 Subjective question Answer
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(क) ‘मंगलम्’ पाठ की विषय वस्तु का वर्णन पाँच वाक्यों में करें । उत्तर- मंगलम पाठ में कुल 5 मंत्र हैं जो ईशावास्य, कठोपनिषद, मुंडकोपनिषद एवं श्वेताश्वरो उपनिषद से लिया गया है | इस पाठ में सत्य, आत्मा और परमात्मा के बारे में चर्चा है | इस पाठ को पढ़ने से परमात्मा के प्रति श्रद्धा उत्पन्न होती है तथा आध्यात्मिक खोज की मन में उत्सुकता पैदा होती है। (ग) चारों आलसियों के वार्तालाप को अपने शब्दों में लिखें Ans-) चारों आलसि पुरुष जब आग से घिर गए तो एक ने कहा यह कैसा कोलाहल है दूसरे ने कहा शायद घर में आग लगी है तीसरे ने कहा क्या कोई धार्मिक व्यक्ति नहीं है जो हमारे ऊपर गिला कपड़ा डाल दे चौथे ने कहा अरे वाचाल कितनी बातें बोलते हो चुप हो जाओ ऐसा सुनकर नियुक्त पुरुषों ने मान लिया कि ये चारों वास्तविक आलसी है उनके बाल पकड़कर आग के बीच में बाहर खींच लिया। (ङ) विवाह संस्कार में कौन-कौन से मुख्य कार्य होते हैं? वर्णन करें। उत्तर- विवाह संस्कार एक पवित्र संस्कार है। इस संस्कार में मंडप का निर्माण, वधू के घर वर पक्ष का स्वागत, कन्यादान, अग्नि की स्थापना, सप्तपदी एवं सिंदूर दान इत्यादि होते है। (च) ‘भारतमहिमा’ पाठ के आधार पर मातृभूमि की विशेषता बताएँ उत्तर-: भारत महिमा’ पाठ में भारत की विशेषताओं का वर्णन करते हुए कवि कहते हैं कि यह भारत भूमि सदैव पवित्र और ममतामयी है । यह धरती विशाल, स्मरणीय, रूपवाली, शुभस्वरूपा और सुन्दर ऐश्वर्य वाली है । यहभारत भूमि सागरों, वनों, पर्वतों, झरनों तथा बहती हुई नदियों से सदा सेवित है। (ज) साक्षात्कार के समय समिति सदस्य रामप्रवेश पर क्यों प्रसन्न उत्तर – साक्षात्कार के समय समिति के सदस्य रामप्रवेश के व्यापक ज्ञान सेbअत्यन्त प्रसन्न हुए । (झ) स्वामी दयानंद की शिक्षा व्यवस्था का वर्णन करें उत्तर-: • उन्होंने शिक्षा को व्यक्ति के विकास का मूल आधार माना था. • उन्होंने समाज में शिक्षा का प्रचार किया और सभी वर्गों के लोगों को शिक्षित होने का महत्व बताया था. • उन्होंने बालक और बालिकाओं की शिक्षा पर बराबर जोर दिया. • उन्होंने एंग्लो-वैदिक स्कूलों की शुरुआत की ताकि छात्रों को वेदों का ज्ञान और अंग्रेज़ी शिक्षा दोनों मिल सके. (ट) ज्ञानं भारः क्रियां विना’ यह उक्ति व्याघ्न पथिक कथा पर कैसे चरितार्थ होती है ? • ज्ञान के होने पर भी अगर उसका इस्तेमाल न किया जाए, तो वह भार मात्र होता है. • ज्ञान को उपयोग में लाना भी ज़रूरी है. • अगर किसी व्यक्ति के पास ज्ञान हो, लेकिन वह इंद्रियों और चित्त को वश में न रखे, तो वह अपने बुरे कर्मों और उनके परिणामों में फंसता रहता है. (ड) महात्माबुद्ध के अनुसार वैर की शांति कैसे संभव है? Ans-) महात्मा बुद्ध के अनुसार वैर की शांति निवैर करुणा वं मैत्री भाव से ही संभव हो सकती है।